प्राचार्य संदेश
‘ज्ञान ही शक्ति है’ यह हर युग का शाश्वत सत्य है किन्तु वर्तमान लोकतांत्रिक और वैज्ञानिक युग में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है जहां व्यक्ति समाज में अपना स्थान और मुकाम अपनी सामर्थ्य और क्षमता से स्वयं निर्धारित करता है l इस क्रम में लंबे समय से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से वंचित आदिवासी समाज के लिए स्थापित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय दूरदर्शितापूर्ण परिकल्पना का मूर्त रूप है l

देश के गौरवशाली अतीत का उत्तराधिकारी जनजातीय समाज आज़ादी के 78 वर्ष बाद भी मूलभूत आवश्यकताओं और गरिमामय जीवन के लिए संघर्षरत है जिसका मूल कारण है – शिक्षा का अभाव l शिक्षा मात्र व्यावसाय या जीवन यापन के साधन उपलब्ध कराने का जरिया ही नहीं है बल्कि व्यक्ति के जीवन में समग्र बदलाव और उसकी भावी पीढियों का दिग्दर्शन करने वाला प्रकाश स्तंभ है l
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के माध्यम जनजातीय नव जागरण के इस पावन उत्सव में मैं समस्त सहकर्मियों, अभिभावकों और विद्यार्थियो का आह्वान करता हूं कि जो संकल्प सरकार ने लिया है उसे पूर्ण सत्य निष्ठा और कर्मठता से सिद्धि तक पहुंचाने का कार्य करें l
सदियों से वंचित और हाशिये पर रहे आदिवासी समाज़ में शिक्षा का प्रकाश हर घर तक पहुंचाने के संकल्प में हमें शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों का सतत सहयोग मिलता रहेगा इसी आशा के साथ – जय हिंद l
श्याम लाल (प्राचार्य)
एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल, मंगला
जिला – चामराजनगर (कर्नाटक)